26 जनवरी 2001 में गुजरात के भुज, कच्छ, भरुच, अंजार, गांधीनगर, राजकोट आदि में आये दुनिया के इतिहास के भयंकर भूकंप और उससे हुई बर्बादी की जटिल और मुश्किल चुनौती पर प्रभावी प्रयास और परिश्रम का परिणाम और ऐसे संकट और चुनौती के वक्त इस लड़ाई में लगे लोगों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर इस बात का विश्वास और एहसास कराना कि इस चुनौती के समय सेना के साथ सेनापति का उतनी ही गंभीरता, मेहनत और मजबूती से मैदान में खड़ा रहना श्री नरेंद्र मोदी की खासियत रही है। गुजरात के भूकंप की चुनौती पर इसी मजबूत इक्छाशक्ति और संकल्प से श्री नरेंद्र मोदी ने भूकंप के संकट पर जीत हासिल की थी।
दुनिया अचंभित थी, भौंचक थी कि इतनी बड़ी त्रासदी को जिसमे 80 प्रतिशत से ज्यादा खाने-पीने के स्त्रोत नष्ट हो गए थे, लाखों लोग बेघर हो गए हों, हजारों लोगों को जाने गंवानी पड़ी हो, कुछ ही दिनों पहले मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सँभालने वाले श्री नरेंद्र मोदी ने किस जादू की छड़ी से कब्जे-काबू में किया और हालात को बेहतर बनाने का रास्ता साफ़ किया, दुनिया के तमाम देश उस भुज-कच्छ आदि इलाकों को आज देख कर आश्चर्यचकित हैं कि मात्र एक दशक से कम वक्त में इन इलाकों के बर्बादी के निशान, इतिहास का हिस्सा बन गए हैं और आज दुनिया की बेहतरीन विकसित जगहों में से एक कहे जा सकते हैं।
जिस वक्त जनवरी 2020 में कोरोना संक्रमण की चर्चा ही शुरू हुई थी, उस वक्त प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी संभावित संकट से निपटने के प्रभावी उपायों की रुपरेखा तैयार कर चुके थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 मार्च 2020 को कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित किया था। उससे दो सप्ताह पूर्व ही भारत के सभी हवाई अड्डों पर विदेश से आने वाली सभी उड़ानों से आये यात्रियों की प्रारम्भिक जाँच शुरू हो गई थी। 1 मार्च 2020 या उसके बाद विदेश से आये सभी लोगों को कम से कम दो सप्ताह का आइसोलेशन जरुरी कर दिया गया था।
जिस समय दुनिया कोरोना संक्रमण की गंभीरता पर बहस कर रही थी, उस समय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी वह सभी उपाय-तैयारियां कर रहे थे जो आने वाले दिनों में जरुरी होंगी। चाहे चिकित्सा उपकरणों के आयात हो या जांच केंद्र हो, जनवरी 31 को ही सेना द्वारा कोरंटाईन-आइसोलेशन सेंटर बनाना हो या सुरक्षा और स्वास्थ्य के पुख्ता इंतजाम हों, रक्षा मंत्रालय ने सूरतगढ़, जैसलमेर, झाँसी, जोधपुर, चेन्नई, कोलकाता, देवलाली आदि स्थानों पर कोरंटाईन सेंटर तैयार किये जहाँ विदेश से आ रहे भारतीयों को रखा गया। नौसेना ने मुंबई, कोच्ची, विजाग एवं अन्य नौसेना अस्पतालों में ऐसी ही व्यवस्था की। दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल में दो मंजिलों को आइसोलेशन सेंटर बना दिया गया, यही नहीं 100 से अधिक सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों में केंद्र सरकार ने कोरंटाईन व्यवस्था की, इसी प्रकार राज्य सरकारों को भी इसके पुख्ता इंतजाम करने के लिए कहा गया। दुनिया भर में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित देशों की तुलना में बहुत पहले ही संपूर्ण भारत में लॉकडाउन कर दिया गया जिसे 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। लगभग 130 करोड़ की जनसँख्या वाले देश में लॉकडाउन का फैसला प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोंच का ही परिणाम है।
देश-दुनिया के विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन लगाए जाने के कारण भारत में कोरोना संक्रमण के लगभग 150 गुना कम केस हुए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की फ्रंट पर आ कर कोरोना के खिलाफ जंग में अग्रणी भूमिका ने लोगों में गजब का विश्वास पैदा किया। जनता कर्फ्यू से लेकर दो बार लॉकडाउन तक का यदि जनसमर्थन देखें तो यह अद्भुत रहा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की "जनता कर्फ्यू", लॉकडाउन आदि की अपील को अपार जन समर्थन मिला; घरों में बंद करोड़ों लोगों का मनोबल बढ़ाने के उनके प्रयासों को जनता ने तहे दिल से स्वीकार किया। श्री मोदी की 22 मार्च को शाम 5 बजे 5 मिनट तक ताली, थाली बजाकर स्वास्थ्य, सुरक्षा, सफाई कर्मियों का उत्साह बढ़ाने की अपील हो या 5 अप्रैल को रात 9 बजे दिए, टॉर्च, मोबाइल की लाइट जलाना हो, यह सब प्रधानमंत्री द्वारा देश के करोड़ों लोगों के साथ इस संकट की घडी में जुड़ने का माध्यम रहा। देश के सभी नागरिकों द्वारा कोरोना के कहर का मिल कर मुकाबला करने का संकल्प था।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोगों का अपने नेता पर अटूट विश्वास करना, इस सदी की ऐतिहासिक घटना होगी। लोगों के विश्वास और लोगों की सेहत, सलामती के संकल्प से भरपूर श्री नरेंद्र मोदी के कड़े-बड़े फैसलों ने कोरोना के बेकाबू कहर से काफी हद तक भारत को महफूज रखा। कोरोना से लड़ रहे स्वास्थ्य, सुरक्षा, सफाई के साथियों को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की हर दिन हौसला अफजाई, उनके काम करने के जज़्बे को और मजबूत करती रही।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी लगातार पड़ोस के देशों एवं विश्व के नेताओं से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये जुड़े रहे, अपने देश के सभी मुख्यमंत्रियों, सामाजिक, औद्योगिक संगठनों के लोगों, विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से संपर्क-संवाद के जरिये फीडबैक लेते रहे और उसके आधार पर आगे बढ़ते रहे। अपनी सरकार के सभी मंत्रियों को अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी दे कर स्थानीय प्रशासन से ग्राउंड रिपोर्ट हासिल कर कमियों-सुधारों को पुख्ता करते रहे। मंत्रिमंडल समूह हर दिन कोरोना संकट से निपटने के लिए किये गए फैसलों को प्रभावी ढंग से लागू करने का उपाय करते रहे।
लॉकडाउन के बीच गरीबों-जरूरतमंदों को राहत पहुँचाने के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाये। लॉकडाउन के बीच 32 करोड़ 32 लाख लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से 29 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि वितरित की गई है। 8 करोड़ 30 लाख से ज्यादा किसानों को लगभग 16 हजार करोड़ रूपए किसान सम्मान निधि के तहत दिए गए हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 5 करोड 30 लाख से ज्यादा जरूरतमंदों को मुफ्त राशन मुहैया कराया गया है। 97 लाख से ज्यादा लोगों को उज्जवला योजना के तहत निशुल्क गैस सिलिंडर मुहैया कराये गए हैं। 20 अप्रैल से देश के कई हिस्सों में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को छूट दी गई है ताकि अर्थव्यवस्था गतिशील रहे। गरीबों को 3 महीने तक मुफ्त राशन मुहैया कराया जायेगा। प्रधानमंत्री, "पैनिक की जगह प्रीकाशन" पर जोर देते रहे, इसी लिए वह हमेशा लोगों को विश्वास दिलाते रहे कि यदि हमने संयम और अनुशासन से यह लड़ाई लड़ी तो जरूर जीतेंगे। जिस समय दुनिया के कई देश इस संकट पर दिशाहीन नीति से बौखलाहट और हताशा का परिचय दे रहे हैं, ऐसे समय में भारत के लोग अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं कि उनके साथ एक दूरदर्शी संकट मोचन योद्धा के रूप में श्री नरेंद्र मोदी जैसे नेता खड़े हैं। विश्व के सभी नेता-लोग इस संकट के समय श्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोंच, सक्रियता और लोगों की सेहत-सलामती के संकल्प की सराहना ही नहीं कर रहें हैं बल्कि सबक भी ले रहे हैं।