प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के सऊदी अरब से बेहतर संबंधों और भारतीय मुसलमानों के सरोकार के प्रति मोदी सरकार की संवेदनशीलता का नतीजा है कि इस बार हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार सबसे ज्यादा 1 लाख 75 हजार से ज्यादा भारतीय मुसलमान हज यात्रा पर हैं जिनमे रिकॉर्ड 48 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। इस बार की हज यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक है। 1 लाख 75 हजार से ज्यादा भारतीय मुसलमानों के हज यात्रा पर जाने के अतिरिक्त हज 2018 बिना सब्सिडी का हज है, साथ ही भारत से बिना "मेहरम" (पुरुष रिश्तेदार) के मुस्लिम महिलाएं इस बार पहली बार हज यात्रा पर गई हैं। इसके अलावा 100 से अधिक महिला हज अस्सिटेंट और कोऑर्डिनेटर पहली बार हज यात्रियों की सहायता के लिए सऊदी अरब भेजी गई हैं।
सभी जानते हैं कि भारतीय मुसलमानों का दशकों से "सियासी शोषण" तो जम कर हुआ पर उनके आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक सशक्तिकरण को एक "सोंची समझी सियासी साजिश" के तहत नजरअंदाज किया गया जिसका नतीजा यह रहा कि मुस्लिम समाज आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक तौर पर लगातार पिछड़ता गया। मोदी सरकार "डेवलपमेंट विद डिग्निटी", "सम्मान के साथ सशक्तिकरण" एवं "बिना तुष्टीकरण के सशक्तिकरण" के रास्ते पर चल कर इन पिछले सवा चार वर्षों में बिना भेदभाव के तरक्की की रौशनी समाज के हर जरूरतमंद इंसान तक पहुंचाती रही है। इसमें मुस्लिम समाज भी शामिल है।
मोदी सरकार ने पिछड़े-कमजोर तबकों को केंद्र बिंदु बना कर विकास का काम शुरू किया जिसका नतीजा है कि देश की तरक्की के साथ भारतीय मुसलमानों की भी तरक्की हुई है। कुछ उदाहरण देना चाहता हूँ। इन सवा चार सालों में मोदी सरकार के कार्यकाल में मुसलमानों को क्या फायदा हुआ है- मोदी सरकार की "बिना तुष्टीकरण के सशक्तिकरण" के संकल्प का नतीजा है कि पिछले सवा 4 वर्षों में विभिन्न स्कॉलरशिप्स योजनाओं से गरीब, कमजोर अल्पसंख्यक समाज के रिकॉर्ड 3 करोड से ज्यादा छात्र- छात्राएं लाभान्वित हुए हैं, जिनमे लगभग 1 करोड़ 63लाख छात्राएं शामिल हैं। मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि मुस्लिम लड़कियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट जो पहले 70-72 प्रतिशत था, वह अब घटकर लगभग 35-40 प्रतिशत रह गया है। हम इसे जीरो प्रतिशत करेंगे। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने "3E - एजुकेशन, एम्प्लॉयमेंट, एम्पावरमेंट" के संकल्प के साथ काम किया है। पिछले लगभग एक वर्ष में देश भर में मदरसों सहित सभी अल्पसंख्यक समुदाय के हजारों शैक्षिक संस्थानों को "3T -टीचर, टिफ़िन, टॉयलेट" से जोड़ कर उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल किया गया है।
सीखो ओर कमाओ, उस्ताद, गरीब नवाज कौशल विकास, नई मन्जिल आदि रोजगारपरक कौशल विकास योजनाओं के माध्यम से लगभग 5 लाख 43 हजार युवाओं को कौशल विकास व रोजगार-रोजगार के अवसर मुहैय्या कराये गए हैं। "हुनर हाट" के माध्यम से पिछले 1 वर्ष में 1 लाख 18 हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के दस्तकारों/शिल्पकारों को ना केवल रोजगार-रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गए हैं बल्कि उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मार्किट-मौका भी मुहैया कराया गया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों के लिए देश के सिर्फ 100 जिलों तक सीमित विकास योजनाओं का विस्तार "प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम" के अंतरगर्त 308 जिलों में कर दिया है। आजादी के बाद पहली बार देश के 308 जिलों में अल्पसंख्यक तबकों और विशेषकर लड़कियों की शिक्षा हेतु मूलभूत सुविधाओं के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। "प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम" के तहत लड़कियों के शैक्षिक सशक्तिकरण एवं रोजगारपरक कौशल विकास को प्राथमिकता देते हुए स्कूल, कॉलेज, पॉलिटेक्निक, गर्ल्स हॉस्टल, आईटीआई, कौशल विकास केंद्र आदि का उन वंचित इलाकों में निर्माण कराया जा रहा है जहाँ आजादी के बाद से यह सुविधाएँ नहीं पहुँच पाई।
इन सवा चार वर्षों में मोदी सरकार ने देश के विभिन्न "पिछड़े एवं इग्नोर्ड (उपेक्षित)" क्षेत्रों में 16 डिग्री कॉलेजों, 2019 स्कूल भवन, 37,267, अतिरिक्त क्लासरूम, 1141 छात्रावास, 170 औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीआई), 48 पॉलीटेक्निक, 38,736 आंगनवाड़ी केंद्र 3,48,624 आईएवाई (पीएमएवाई) घर, 340 सद्भाव मंडप, 67 आवासीय विद्यालय, 436 बाजार शेड, 4436 स्वास्थ्य परियोजनाएं आदि का निर्माण किया है। जिससे कमजोर, पिछड़े, अल्पसंख्यक वर्गों विशेषकर महिलाओं के जीवन स्तर में व्यापक पैमाने पर सुधार लाने में मदद मिली है।
इसके अलावा मोदी सरकार की "मुद्रा योजना" के तहत 37 प्रतिशत लाभार्थी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं जिन्हे इस योजना के तहत रोजगार-रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए हैं। साथ ही "उज्वला योजना" के लाभार्थियों में 31 प्रतिशत अल्पसंख्यक शामिल हैं। इसी प्रकार मोदी सरकार की अन्य कल्याणकारी- विकास योजनाओं का सीधा लाभ जरूरतमंद अल्पसंख्यकों को हुआ है, अल्पसंख्यकों का सशक्तिकरण सुनिश्चित हुआ है।
पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से मुस्लिम समाज के पिछड़े तबकों के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मुस्लिम समाज के पिछड़े तबकों में शामिल कहार, केवट-मल्लाह, कुम्हार, कुंजड़ा, गुज्जर, गद्दी-घोसी, कुरैशी, जोगी, दफ्फाली, माली, तेली, दरजी, नट, फकीर, बंजारा, बढ़ई, भुर्जी, भटियारा, चुड़िहार, मोमिन-जुलाहा, मनिहार, मुस्लिम कायस्थ, मंसूरी, धुनिया, बेहना, रंगरेज, लोहार, हलवाई, हज्जाम, लाल बेगी, धोबी, मेव, भिश्ती, मदारी, मोची, राज-मिस्त्री, कलवार आदि सैकड़ों पिछड़े वर्ग के लोग मोदी सरकार के इस फैसले से गौरान्वित महसूस कर रहे हैं।
मोदी सरकार की बिना भेदभाव के "सम्मान के साथ सशक्तिकरण" की नीति का नतीजा है कि सिविल सर्विस में आजादी के बाद इस वर्ष सर्वाधिक अल्पसंख्यक समाज के 131 युवा चुने गए हैं, जिनमे 51 मुस्लिम समाज से हैं। पिछले वर्ष भी अल्पसंख्यक समाज के 126 युवा चुने गए थे जिनमे 52 मुस्लिम शामिल थे। केंद्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यकों की भागीदारी जहाँ 2014 में लगभग 4.9 प्रतिशत थी वह बढ़कर 9.8 प्रतिशत हो गई है।