प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदुस्तान, समावेशी समृद्धि एवं सर्वस्पर्शी सशक्तिकरण की "राष्ट्रनीति" और शक्तिशाली, आत्मनिर्भर, सुरक्षित, समृद्धि से भरपूर भारत, सफलता की सीढियाँ चढ़ रहा है। हर भारतवासी उसके अभूतपूर्व नेतृत्व और अद्भुत निर्णय क्षमता तथा राष्ट्रहित में किये गए कड़े-बड़े दूरदर्शी फैसलों पर गर्व और गरिमा का एहसास कर रहा है। श्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशील, समावेशी, दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता ने उन्हें "सुशासन एवं समावेशी समृद्धि" का "प्रामाणिक ब्रांड" बना दिया है। जहाँ एक तरफ हर भारतवासी, देश की प्रामाणिक उपलब्धियों और प्रभावशाली नेतृत्व पर गर्वान्वित है वहीँ देश की इस शानदार-जानदार उपलब्धियों के सफल सफर से बौखलाया-बदहवास पेशेवर "मोदी फोबिया क्लब" ने "इस्लामोफोबिया" कार्ड के जरिये झूठे, मनगढंत तर्कों, तथ्यों से कोसों दूर दुष्प्रचारों के "पाखंडी प्रयासों" से भारत के शानदार समावेशी संस्कृति, संस्कार और संकल्प पर पलीता लगाने की फिर से साजिशी सूत्र का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है।
इस "भारत बैशिंग ब्रिगेड" के "ज्ञानी अज्ञानियों" को समझना होगा कि जिस देश की संस्कृति-संस्कार और संकल्प "वसुधैव कुटुम्बकम्" यानी “सारी पृथ्वी एक कुटुंब (परिवार) के समान है”- साथ ही "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥" यानी सभी सुखी होवें, सभी रोग मुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को दुःख का भागी ना बनना पड़े संकल्प हो। इसी समावेशी सनातन संस्कृति-संस्कार ने जिस विशाल भारत को अनेकता में एकता की मजबूत डोर से जोड़ रखा है, जिसमें मजहब, क्षेत्र, देश से ऊपर उठकर संपूर्ण मानव जाति के सुख-समृद्धि-स्वास्थ्य-सुरक्षा की सीख का समावेश हो। इसी हिंदुस्तानी संस्कार, संस्कृति और संकल्प का परिणाम है कि आजादी के बाद जहाँ पाकिस्तान ने इस्लामी राष्ट्र का रास्ता चुना, वहीँ भारत के लोगों ने "पंथनिर्पेक्ष जनतांत्रिक" राष्ट्र का मार्ग चुना। बंटवारे के बाद पाकिस्तान में अल्पसंख्यक 24 प्रतिशत से ज्यादा थे लेकिन आज 2 प्रतिशत के इर्द गिर्द बचे हैं। वहीँ बंटवारे के बाद हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक कुल जनसँख्या का 9 प्रतिशत थे वह बढ़कर 22 प्रतिशत से भी अधिक हो गए हैं। सभी नागरिकों के साथ अल्पसंख्यक भी बराबर की हिस्सेदारी-भागीदारी के साथ फल फूल रहे हैं। उस देश और उसके नेतृत्व के खिलाफ दुष्प्रचार, "अज्ञानता और मानसिक दिवालियेपन की पराकाष्ठा" से ज्यादा कुछ नहीं है। अफ़सोस की बात है कि कुछ लोगों की “छद्म सेक्युलर सियासी सनक” ने देश की पंथ निर्पेक्षता को मुस्लिम या अल्पसंख्यकों का "पेटेंट पोलिटिकल प्रोडक्ट" बना कर भारत के समावेशी संस्कार का बड़ा नुकसान करने की कोशिश, और साथ ही भारतीय मुसलमानों को प्रगति की धारा से दूर करने का समझा-बूझा पाप भी किया है।
आज फिर से ऐसे ही “साजिशी सियासी सनक से सराबोर” लोग भारत को बदनाम करने और हिंदुस्तान की "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया" के संकल्प पर चोट पहुँचाने की घटिया साजिश में लग गए हैं। यह वो लोग हैं जो श्री नरेंद्र मोदी के परफॉरमेंस, परिश्रम एवं देश की समावेशी प्रगति को हजम नहीं कर पा रहे हैं। ये हताश आत्माएं 2014 से एक दिन भी चैन से नहीं बैठी, कभी भारत में असहिष्णुता, तो कभी साम्प्रदायिकता, तो कभी भारत में अल्पसंख्यकों के साथ जुल्म और भेदभाव के झूठे मनगठंत किस्से कहानियां देश-विदेश में प्रचारित करते रहें। इस "मोदी बैशिंग क्लब” की परेशानी ये है कि 2014 के बाद उनके दुष्प्रचार और परोसे गए सारे तर्क, वक्त की कसौटी पर खोटे और फर्जी ही नहीं साबित हुए बल्कि औंधे मुंह गिर भी गए। इनका कुतर्क था कि मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते ही इस्लामी देशों से भारत के रिश्ते बिगड़ जायेंगे, ईसाई प्रभाव वाले देश भारत से अपना मुंह मोड़ लेंगे, भारत सांप्रदायिक दंगों की आग में धू-धू करेगा, अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक अधिकार चकनाचूर हो जायेंगे।
पर ठीक उसके विपरीत हुआ, इस्लामी देशों के साथ मोदी जी के कार्यकाल में आजादी के बाद से अब तक के सबसे ज्यादा दोस्ताना और करीबी रिश्ते बनें, यूरोपियन एवं अफ्रीकी देश भारत के और नजदीक आये, यही नहीं सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात, अफगानिस्तान, रूस, फिलिस्तीन, मालदीव, मॉरीशस आदि देशों ने अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को नवाजा। इसके अलावा श्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा "चैंपियंस ऑफ़ दी अर्थ अवार्ड" से भी सम्मानित किया गया। आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की "ग्लोबल स्वीकार्यता, लोकप्रियता" किसी के प्रमाण पत्र की मोहताज नहीं है।
रही बात कि मोदी शासन में भारत के सांप्रदायिक दंगे की आग में धू-धू जलने के लफ्फाजी की, तो हकीक़त यह है पिछले 5 वर्षों में एक भी दंगा नहीं हुआ, दिल्ली में हाल ही में हुए दंगे से पहले शाहीन बाग़ धरने के समय एक मैसेज तेजी से वायरल किया गया था कि "मोदी कहते हैं.. उनके दौरे हुकूमत में एक भी दंगा-फसाद नहीं हुआ, हमें इस गुरुर को चकनाचूर करना है".. और उसके बाद दिल्ली में जो कुछ हुआ उसने इंसानियत के सभी अंगों को लहूलुहान कर दिया। कुछ लोग अपने कुतर्कों, दुष्प्रचारों को न्यायोचित ठहराने की साजिशी सनक में इतना गिर जायेंगे कोई सोंच भी नहीं सकता।
शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं को राष्ट्रद्रोही नहीं कहा जा सकता, पर यह भी सच है कि उन्हें "गुमराही गैंग" ने अपने मकसद के लिए गुमराह किया और ऐसे रास्ते पर धकेल दिया जहाँ "एंट्री गेट" तो था पर "एग्जिट गेट" नहीं। या यह कह सकते हैं कि इन बेचारी महिलाओं को "एंट्री गेट" पर धक्का दे कर इस "साजिशी सिंडिकेट" ने "एग्जिट गेट" पर ताला लगा दिया। इस साजिश का ताना-बाना बहुत ही सोंची-समझी आपराधिक सोंच के साथ बुना गया- "बोगस बैशिंग ब्रिगेड", श्री नरेंद्र मोदी एवं भारत को बदनाम करने की “सनक और साजिश" में बेगुनाहों की लाशों के ढेर पर अपनी कामयाबी का ढोल पीटना चाहती थी, दुनिया को चिट्ठियां लिख रहे हैं कि "देखो .. जो हमने कहा था वह सच निकला"। जाँच एजेंसियां इस खतरनाक खूनी साजिश के तह तक पहुँच रही हैं और इसके परदे के पीछे और सामने के गुनहगारों को कानून ऐसा सबक सिखाएगा कि वो दोबारा ऐसा इंसानियत को लहू-लुहान करने की साजिश का सपना भी देखें, तो उनकी रूह काँप जाये।
इस ब्रिगेड में शामिल बहुत से लोग उसी "विरासत के वारिस" हैं जिन्होंने कांग्रेस के समय में भिवंडी से भागलपुर, मलियाना से मालेगांव तक हुए 5 हजार से ज्यादा कत्लेआम पर ना कभी सवाल उठाया ना कभी कहीं शिकायत की, क्योंकि यह सब जिस दौरे हुकूमत में हुआ था उसकी नाल उस “दरबार के दरबारियों” से बंधी है। मोदी सरकार ने कभी भी हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई या धर्म, जाति, क्षेत्र के आधार पर विकास की रुपरेखा नहीं बनाई, उनकी प्राथमिकता गरीब-कमजोर तबका और जरूरतमंद रहा। फिर भी जो लोग "इस्लामोफोबिया" के नाम पर दुनिया में भारत को बदनाम करने का पराक्रम कर रहे हैं उनकी जानकारी के लिए बताना जरुरी है कि मोदी कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के सामाजिक, शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए क्या हुआ है, जो इससे पहले इनकी "छद्म सेक्युलर सरकारों" ने नहीं किया या जान बुझ कर इतने बड़े समाज को तरक्की की रौशनी से दूर रख कर उसका "बेदर्दी-बेशर्मी" के साथ "सियासी शोषण" करते रहे।
पिछले लगभग 5 वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2 करोड़ गरीबों को घर दिया तो उसमे 31 प्रतिशत अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय है। देश के 6 लाख गांवों में बड़ी संख्या में गांवों में बिजली पहुंचाई गई तो 39 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यक बाहुल्य गांव अँधेरे में जिंदगी बिता रहे थे उनके घरों में उजाला हुआ। 22 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि के तहत लाभ दिया, तो उसमे भी 33 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब किसान लाभान्वित हुए।8 करोड़ महिलाओं को “उज्ज्वला योजना” के तहत निशुल्क गैस कनेक्शन दिया तो उसमे 37 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब परिवारों को फायदा हुआ। 24 करोड़ लोगों को “मुद्रा योजना” के तहत छोटे-मझोले व्यवसाय एवं अन्य रोजगारपरक आर्थिक गतिविधियों के लिए आसान ऋण दिए गए हैं जिनमे 36 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यकों को लाभ हुआ। यह लाभ उन्हें इसलिए मिला कि वो गरीब हैं या उन्हें अभी तक गरीबी के दलदल में सोंची-समझी सियासी सोंच के तहत फेंक कर रखा गया था।
इसके अलावा, "हुनर हाट", "गरीब नवाज़ स्वरोजगार योजना", सीखो और कमाओ आदि रोजगारपरक कौशल विकास योजनाओं के माध्यम से पिछले 5 वर्षों में 10 लाख से ज्यादा अल्पसंख्यकों को रोजगार और रोजगार के मौके उपलब्ध कराये गए हैं। पिछले लगभग 5 वर्षों में 3 करोड़ 50 लाख से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को विभिन्न स्कॉलरशिप्स दी गई हैं। जिस वजह से विद्यार्थियों विशेषकर लड़कियों का स्कूल ड्रॉप आउट रेट 72 प्रतिशत से घट कर 32 प्रतिशत रह गया है जो आने वाले दिनों में जीरो प्रतिशत होगा। देश भर में वक्फ सम्पत्तियों का 100 प्रतिशत डिजिटाइजेशन कर दिया गया है और शत प्रतिशत वक्फ सम्पत्तियों के जियो मैपिंग का काम जल्द पूरा हो रहा है। मोदी शासन के 5 वर्षों में भारत से हज यात्रियों की संख्या में रिकॉर्ड 1 लाख 30 हजार से 2 लाख की वृद्धि हुई है। आजादी के बाद पहली बार, प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत वक्फ संपित्तयों पर स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, कम्युनिटी सेंटर, विभिन्न आर्थिक-सामाजिक-शैक्षिक गतिविधियों के निर्माण के लिए मोदी सरकार शत प्रतिशत फंडिंग कर रही है। मोदी सरकार द्वारा देश भर में युद्धस्तर पर शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक एवं रोजगारपरक ढांचागत सुविधाओं का निर्माण किया गया है जिसकी सख्त जरुरत थी।
पिछले लगभग 5 वर्षों के दौरान मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री जन कल्याण कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत देश भर के अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में आर्थिक-शैक्षिक-सामाजिक एवं रोजगारपूरक गतिविधियों के लिए बड़ी संख्या में इंफ़्रास्ट्रक्चर का निर्माण कराया जिनमें 1512 नए स्कूल भवन; 22514 अतरिक्त क्लास रूम; 630 हॉस्टल; 152 आवासीय विद्यालय; 8820 स्मार्ट क्लास रूम (केंद्रीय विद्यालयों सहित); 32 कॉलेज; 94 आईटीआई; 13 पॉलिटेक्निक; 2 नवोदय विद्यालय; 403 सद्भाव मंडप (बहुउद्देशीय सामुदायिक केंद्र); 598 मार्किट शेड; 2842 स्कूलों में टॉयलेट एवं पेयजल सुविधाएँ; 135 कॉमन सर्विस सेंटर; 22 वर्किंग वीमेन हॉस्टल; 1717 विभिन्न स्वास्थ्य परियोजनाएं; 5 अस्पताल, 8 हुनर हब; 10 विभिन्न खेल सुविधाएँ; 5956 आंगनवाड़ी केंद्र आदि का निर्माण शामिल हैं।
वैसे सभी सरकारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समाज को भी समान रूप से मिल रहा है, फिर भी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का जो बजट कांग्रेस शासन में 3500 करोड़ रूपए था उसे मोदी सरकार ने 5000 करोड़ से ज्यादा कर दिया है यानी 70 प्रतिशत की वृद्धि। यहीं नहीं, 2014 तक केंद्र सरकार की सेवाओं में अल्पसंख्यकों की भागीदारी जहाँ 4 प्रतिशत के इर्द-गिर्द थी, आज मोदी सरकार में 10 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर रही है। प्रशासनिक सेवाओं में भी पिछले 60 वर्षों में सर्वाधिक अल्पसंख्यक समाज के लोग चुने गए हैं, यह सरकार की निष्पक्षता और काबिलियत के कद्र की नीति का नतीजा है। कोरोना के कहर के दौरान समाज के सभी जरूरतमंदों को लॉकडाउन के बीच 32 करोड़ लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से 31 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि वितरित की गई है। इसका बड़ा लाभ अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को भी हुआ है। इस आपदा के समय प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 5 करोड 30 लाख जरूरतमंदों को मुफ्त राशन मुहैया कराया गया है। इसी दौरान 4 करोड़ से ज्यादा लोगों को उज्ज्वला योजना के तहत निशुल्क गैस सिलिंडर मुहैया कराये गए हैं। प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत 8 करोड़ 30 लाख किसानों को प्रथम किश्त के लिए 16 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा की मदद की गयी है।
20 करोड़ महिलाओं के जन धन अकाउंट में 12 हजार करोड़ रूपए डाले गए हैं। निर्माण कार्यों से जुड़े 3 करोड़ 50 लाख से ज्यादा पंजीकृत मजदूरों के लिए 31 हजार करोड़ रूपए का फंड दिया गया है। इन सभी का लाभ बड़ी तादाद में अल्पसंख्यकों को भी पहुंचा है।जब कोरोना का कहर दुनिया में शुरू हुआ था, तब पाकिस्तान सहित और कई देश अपने नागरिकों की सुध नहीं ले रहे थे; तभी मोदी सरकार वुहान, ईरान, ईराक, सऊदी अरब आदि से बड़ी संख्या में भारतीयों को वापस देश लायी, इनमे अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे। वहीं हाल ही में शुरू किये गए "वन्दे भारत मिशन" के तहत भी मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ईरान, क़तर सहित कई देशों से भारतीयों को वापस लाया जा रहा है जिनमे बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समाज के लोग हैं।
हमने कभी समाज के सभी वर्गों के साथ बराबरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक-शैक्षिक-आर्थिक प्रगति के लिए किये गए काम का ढोल नहीं पीटा ना इसका सियासी फायदा लेने की कोशिश की। "समावेशी विकास-सर्वस्पर्शी सशक्तिकरण" मोदी सरकार के लिए "राष्ट्रनीति" है, “राजनीति” नहीं। इसी विश्वास का नतीजा है कि कोरोना की चुनौतियों को परास्त करने के लिए समाज के सभी वर्ग एक जुट हो कर लड़ रहे हैं, मंदिर, गुरुद्वारों, चर्चों की तरह मस्जिदें, दरगाहें एवं सभी धार्मिक-सामाजिक जगहों पर हर तरह के भीड़-भाड़ वाले धार्मिक कार्यक्रम रोक दिए हैं, सभी लोग ईमानदारी के साथ लॉकडाउन, कर्फ्यू, सोशल डिस्टेंसिंग, कोरोना के तहत सभी दिशा निर्देशों एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की हर अपील को सम्मान के साथ स्वीकार कर पालन करते रहें। यही नहीं तमाम दुष्प्रचारों-अफवाहों को दरकिनार कर विभिन्न धार्मिक-समाजिक संगठन जिनमे दरगाहें, मस्जिदें, इमामबाड़े, अंजुमनें एवं अल्पसंख्यक सामाजिक-शैक्षिक संस्थान आदि शामिल हैं, लोगो को राहत के लिए आगे बढ़ कर मदद कर रहे हैं। लेकिन इस संकट के समय भी "साजिशों के सूत्रधार" बाज नहीं आ रहे हैं, "साइबर ठगों" से तालमेल कर सोशल मीडिया एवं अन्य प्लेटफॉर्म पर अफवाहें फैलाने, दुष्प्रचार करने, कुछ विदेशी संस्थाओं को भारत के खिलाफ चिट्ठियां लिखने में व्यस्त हैं, लेकिन मेरे देश का संस्कार और संकल्प इतना मजबूत है कि इन तमाम "साजिशी सूरमाओं की शैतानी चालों" को नाकाम करता हुआ, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के "सबका साथ-सबका विकास- सबका विश्वास" के संकल्प के साथ, एकजुटता से आगे बढ़ रहा है और बढ़ता रहेगा, देश के विश्वास चक्र को विषम चक्र में बदलने के लिए ऐसे “साजिशी सिंडिकेट” के भारत को बदनाम करने की सोंच से गढ़ा गया "इस्लामोफोबिया” कार्ड और "हॉरर हंगामा" बुरी तरह ध्वस्त होगा। "एक भारत-श्रेष्ठ भारत"- मेरे हिंदुस्तान की आत्मा है, इस पर चोट 135 करोड़ हिन्दुस्तानियों की रूह पर हमला है, हमारा एकजुटता के साथ भारत की सफलता का हमसफ़र बन कर चलना ही "राष्ट्रधर्म" है।