नई दिल्ली, 21 सितम्बर, 2023: पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि प्रोफेशनल पब्लिसिटी, पब्लिक रिलेशन्स प्रोजेक्ट के पोटेंशियल क्लाइंट" पॉलिटिकल पार्टीज " भी बन गई हैं।
पब्लिक रिलेशन्स कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा नई दिल्ली में डिजिटल युग में विश्वनीयता पर आयोजित 17वें ग्लोबल कम्युनिकेशन कॉन्क्लेव में श्री नकवी ने कहा कि भारत में सैकड़ों व्यापारिक घरानों के साथ ही 6 राष्ट्रीय पॉलिटिकल पार्टीज, 54 राज्य पार्टीज और 2597 रजिस्टर्ड पार्टीज का बड़ा समूह भी कार्पोरेट वर्ल्ड की तरह ही आज के डिजिटल, इन्टरनेट युग में प्रोफेशनल पब्लिसिटी के पकड़-प्रभाव, आवश्यकता-असर से आकर्षित हैं।
श्री नकवी ने कहा कि आज बड़े-छोटे-मंझोले सभी राजनीतिक दल प्रोफेशनल एडवरटाइजिंग और जनसंपर्क के आधुनिक आविष्कारों का इस्तेमाल अपने नीतियों -नेतृत्व की बेहतर ब्रांडिंग में कर रहे हैं। दुनिया के कई जनतांत्रिक, लोकतांत्रिक देशों के राजनीतिक दल बहुत पहले से प्रोफेशनल प्रचार प्लेटफार्म का पीपुल्स कम्युनिकेशन कनेक्शन हेतु इस्तेमाल करते रहें हैं।
श्री नकवी ने कहा कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नारे और रणनीति राजनीतिक दलों की कोर टीम या पेशेवर कम्पनियाँ तैयार करती हैं पर लोगों और घरों तक पहुँचने की ज्यादातर जिम्मेदारी विभिन्न व्यावसायिक एजेंसियों को सौंपी जाती है। भारत और विश्व में प्रभावशाली चुनाव कैम्पेन और नारों का रिजल्ट पर बड़ा असर देखा गया है, जैसे "अबकी बार मोदी सरकार", "न जात पे ना पात पे मुहर लगाओ हाँथ पे", "सबको देखा बारी बारी अबकी बारी अटल बिहारी" या विश्व की विभिन्न चुनावी बिसात बदलने वाले नारे "यस वी कैन"(बराक ओबामा); "ड्रीम बिग, फाईट हार्ड" (एलिजाबेथ वारेन) "नाट मी-अस" (बर्नी सैंडर्स), "डोन्ट चेन्ज हॉर्सेस इन मिडस्ट्रीम" (अब्राहम लिंकन) के कैम्पेन के गेम चेंजर साबित हुए।
श्री नकवी ने कहा कि इसी तरह विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक संस्थान भी व्यावसायिक एजेन्सी को हायर कर अपने प्रचार प्रसार को बेहतर बनाने में मदद ले रहें हैं। लेकिन ब्रांड का दम, ब्रांड एम्बेसेडर के दमदार होने से जुड़ा है। यह हकीकत सभी राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक क्षेत्र और व्यवसायिक एजेंसी जानतीं हैं। इसी लिए "क्रेडिबिल पर्सनालिटी, परफेक्ट क्वॉलिटी, प्राफेटिबिल प्रोडक्ट्स के परिणाम का प्रभावी मंत्र बन गया है।"
श्री नकवी ने कहा कि एक वक्त था जब लिफाफा देख कर लोग खत का मजमून भांप लेते थे, आज मात्र पैकेजिंग, पब्लिसिटी और प्रमोशन प्रोडक्ट की प्रामाणिकता- सफलता का प्रमाण नहीं रहा। प्रोमोशन प्रतिस्पर्धा में "जो दिखता है वो बिकता है" इसके लिए "प्रोडक्ट दमदार-प्रचारक शानदार" की "जानदार जुगलबन्दी" जरुरी है।
श्री नकवी ने कहा कि मार्केटिंग और पब्लिक रिलेशन का मूड, माहौल, मुद्दे, मकसद और मीडियम वक्त के साथ व्यापक और ज्यादा व्यवाहारिक हुए हैं; आज संचार, सम्पर्क, संवाद, प्रचार "डुग्गी, पर्चे, पोस्टर, वाल राइटिंग, होर्डिंग, अखबारों, टेलीविजन के विज्ञापन के सीमित दायरे से बहुत आगे निकल चुका है।
श्री नकवी ने कहा कि "जरा सी हंसी, दुलार जरा सा- अमूल" "विक्स का- विक्स की गोली लो, खिच खिच दूर करो" "यही है राइट चॉइस बेबी वाला पेप्सी" "सबकी पसंद निरमा" "गूगल का डोन्ट बी ऐविल" "एप्पल का थिंक डिफरेन्ट" "कोका कोला का ओपेन हैपिनेस" जैसे पुराने-नए तमाम प्रभावशाली विज्ञापन अब आधुनिक तेवर और कलेवर के साथ नई टेक्नोलॉजी और ट्रांसफॉर्मेशन से कमाल और कमाई का कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।
श्री नकवी ने कहा कि उसी तरह जनसंपर्क, संवाद, समन्वय का तौर-तरीका भी बदला है। इंटरनेट, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, सोशल नेटवर्किंग साइट्स, डिजिटल दुनिया ने जनसंपर्क, पब्लिक रिलेशन्स की टेक्नीक, टेक्नोलॉजी में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है।
श्री नकवी ने कहा कि भारत जहां दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती आर्थिक ताक़त है वहीं डिजिटल डेवलपमेंट का डायनेमिक देश उभर कर आया है। भारत में 88% लोगों के पास स्मार्ट फोन और इन्टरनेट कनेक्शन है यानी सौ करोड़ से अधिक लोग इसका इस्तेमाल कर रहें हैं। आंकलन है कि आने वाले दस सालों में यह आंकड़ा दोगुना होगा, वहीं 1.60 लाख से अधिक समाचार-पत्र जिनमें अधिकांश का डिजिटल एडीशन भी है, 3000 हजार से ज्यादा समाचार, खेल, मनोरंजन , धार्मिक, सांस्कृतिक टेलीविजन चैनल, एक हजार से अधिक रैडियो , एफ. एम. और 40 हजार से अधिक यू-ट्यूब चैनल के अतिरिक्त अन्तरराष्ट्रीय टी.वी, अखबार, वेबसाइट आदि भी भारत के भारी-भरकम बाज़ार को प्रभावित करते हैं।भारत की लगभग 90% आबादी तक उक्त माध्यम पहुंच रखते हैं। यही कारण है कि डिजिटल पीआर और एडवरटाइजिंग उद्योग पिछले कुछ वर्षों में अप्रत्याशित परिवर्तन-प्रगति की दिन दूनी रात चौगुनी उछाल के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान कर रहा है।
श्री नकवी ने कहा कि भारत में विज्ञापन उद्योग दुनिया के मुकाबले लगभग दोगुना रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2022 में भारतीय एडवरटाइजिंग उद्योग लगभग 743 अरब रुपए से ज्यादा का रहा, जिसके वर्ष 2028 तक दोगुना होने का आंकलन है। भारत में पब्लिक रिलेशन्स और एडवरटाइजिंग उद्योग लाखों लोगों के रोजगार के साथ स्टार्ट अप का भी आकर्षक प्लेटफार्म साबित हो रहा है।
श्री नकवी ने कहा कि जहाँ स्वतंत्रता से पहले विज्ञापन का माध्यम गिने चुने अख़बार ही थे, वहीं अब प्रिंट- इलेक्ट्रॉनिक एडवरटाइजिंग के अलावा टीवी, रेडियो, एफ.एम. सोशल नेटवर्किंग साइट्स, वेबसाइट्स, डिजिटल प्रिन्ट-इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया, आउटडोर पब्लिसिटी, स्मार्ट फ़ोन, डिजिटल होर्डिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि किफायती और कामयाब पीआर, एडवरटाइजिंग, कम्युनिकेशन-कनेक्शन का व्यापक प्रभावी प्लेटफार्म उपलब्ध हैं।
श्री नकवी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सस्ता सुलभ इन्टरनेट और 5जी कनेक्टिविटी की व्यापक उपलब्धता से डिजिटल पीआर और एडवरटाइजिंग विस्तार को बल मिला है।
श्री नकवी ने कहा कि जहाँ एक ओर डिजिटल युग, जनसम्पर्क, विज्ञापन उद्योग का सशक्त माध्यम बना है वहीँ कैजुअल कार्यशैली पर अंकुश भी लगा है। प्रतिस्पर्धात्मक व्यापार में दुष्प्रचार और नकारात्मक आक्रमण बड़ी चुनौती है, डिजिटल युग में "सावधानी हटी दुर्घटना घटी" की प्रबल सम्भावना बनी रहती है।
पब्लिक रिलेशन्स कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित इस 17वें ग्लोबल कम्युनिकेशन कॉन्क्लेव में विभिन्न देशों के राजनयिक, भारत एवं अन्य देशों से बड़ी संख्या में पीआर, एडवरटाइजिंग, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, इवेंट मैनेजमेंट आदि क्षेत्रों के विशेषयज्ञ एवं प्रमुख हस्तियां शामिल हुई।