नई दिल्ली, 15 दिसम्बर, 2023: पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि "सामंती अराजकता की सनक, संवैधानिक लोकतन्त्र के संकल्प को बन्धक" नहीं बना सकती।
सांविधानिक तथा संसदीय अध्ययन संस्थान द्वारा आज नई दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी, नार्थ कैम्पस में आयोजित "एम्पॉवरिंग यूथ विथ कांस्टीट्यूशनल वैल्यूज़ एन्ड फंडामेंटल ड्यूटीज" कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व संसदीय कार्य मंत्री श्री नकवी ने कहा कि "संवैधानिक अधिकारों के तंत्र, कर्तव्यों के मंत्र से ही भारत विश्व का महानतम जनतंत्र है।"
श्री नकवी ने कहा कि "सुल्तानी-सामंती साम्राज्य की शिकस्त" और "संवैधानिक-जनतांत्रिक सुराज की शक्ति" ने भारत को "लोकतंत्र की वैश्विक शक्तिपीठ और संवैधानिक मूल्यों का गुरुकुल" बनाया है।
श्री नकवी ने कहा कि संविधान की पावर और व्यक्ति की प्रतिबद्धता, किसी भी सामान्य भारतीय को सर्वोच्च पद पर पहुंचाने की ताक़त रखती है। हमारी संवैधानिक-जनतांत्रिक ताक़त का प्रमाण है कि एक गरीब और पिछड़े परिवार के श्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री चुने गए और कर्तव्यों के कुशलतापूर्वक निर्वहन ने उन्हें "सुशासन का ग्लोबल ब्रांड" और "परिश्रम, परफार्मेंस, परफेक्शन और प्रतिबद्धता के ग्राउंड जीरो का ग्लोबल हीरो" बनाया।
श्री नकवी ने कहा कि आज सफलता का पैमाना परिवार का बैकग्राउंड नहीं बल्कि परिश्रम, परिणाम और परफार्मेंस की बैलेंसशीट है। अब सफलता की गारण्टी काम में कैजुअल अप्रोच नहीं बल्कि कन्विक्शन और कमिटमेंट की सोंच है।
श्री नकवी ने कहा कि आधुनिक कनेक्टिविटी क्रान्ति ने दुनिया को छोटा और प्रतिस्पर्द्धा को बड़ा कर दिया है, संसार के हर हिस्से की व्यापारिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक, प्रशासनिक गतिविधियों पर लोगों की पैनी नज़र रहती है, डिजिटल दुनिया, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में किसी भी पर्सनैलिटी, प्रोडक्ट, इन्डस्ट्री, इंस्टीट्यूशन की वैश्विक विश्वसनीयता कायम करना और रखना "लोहे के चने चबाने की चुनौती से कम नहीं है।"
श्री नकवी ने कहा कि आज विश्व के अधिकांश लोकतान्त्रिक देश अपने संवैधानिक अधिकार, कर्तव्य और संसदीय कार्यकलाप का आंकलन भारत की लोकतान्त्रिक, आर्थिक, संवैधानिक और राजनीतिक गतिविधियों को केंद्र में रखकर कर रहें हैं। भारत की ताक़त उसका संविधान और लगभग 145 करोड़ लोगों की संवैधानिक प्रतिबद्धता है।
श्री नकवी ने कहा कि भारत दुनिया का सर्वाधिक चुनाव वाला देश है जहां हर दो महीने में देश का कोई न कोई भाग जनादेश की कसौटी पर कसा जाता है, लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय, पंचायत, कार्पोरेशन, उप चुनाव आदि होते रहतें हैं, इन सब के बावजूद भी हर चुनाव में लोकतंत्र के पर्व के प्रति लोगों के जुनून-जज़्बे का ताक़तवर होना भारतीय लोकतंत्र को तरो ताज़ा बनाता है, यह इस बात का प्रमाण है कि लोकतंत्र भारत की “आस्था” और संविधान “धर्म ग्रंथ” है। वक्त और जरूरत के साथ दुनिया के सर्वाधिक संशोधित संविधान के प्रति लोगों का विश्वास, आस्था मजबूत हुआ है। भारत ने साबित किया है कि "डेमोक्रेसी डिलीवर" कर सकती है।
इस कार्यक्रम में सांविधानिक तथा संसदीय अध्ययन संस्थान की डायरेक्टर डा. सीमा कौल सिंह, लॉ फैकल्टी की डीन प्रोफ. अंजू वली टिक्कू, लोकसभा सचिवालय के पूर्व संयुक्त सचिव डा. रविंद्र गरिमेला, लोकसभा सचिवालय के पूर्व डायरेक्टर डा. दीपक गोसाईं एवं बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र शामिल हुए।