वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि कांग्रेस स्पष्ट करे कि यूसीसी पर वो मुल्क के साथ है या मुस्लिम लीग के साथ, सामाजिक सशक्तिकरण चाहती है या साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण।
आज कासरगोड़ में भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि सात दशकों की "कम्युनल कैद" से कॉमन सिविल कोड की "रिहाई" का वक्त आ गया है। श्री नकवी ने कहा कि संविधान सभा से लेकर संसद, सड़क, समाज, सुप्रीम कोर्ट, सिविल सोसायटी, कॉमन सिविल कोड की संवैधानिक जरूरत पर आवाज तो उठाते रहे लेकिन "साम्प्रदायिक आफत समावेशी ताकत" पर हावी होती रही।
श्री नकवी ने कहा कि संविधान सभा से लेकर संसद, सिविल सोसाइटी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर कॉमन सिविल कोड की जरुरत बताये जाने के बाद भी "समावेशी समाज के संकल्प" पर "सांप्रदायिक सियासत का सितम" हावी रहा और समान नागरिक संहिता "संविधान का अनुच्छेद" बनने के बजाय "दिशा निर्देश का हिस्सा" बन कर रह गया।
श्री नकवी ने कहा कि समान नागरिक संहिता- यूनिफार्म सिविल कोड- पर फिर से राष्ट्रीय बहस, विमर्श की प्रभावी प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही "तर्कों की ताकत-कुतर्कों की आफत" से देश जूझ रहा है। कटुतापूर्ण कुतर्क, कुप्रचार के कपटी कट्टरपंथियों ने यूसीसी को आस्था पर आक्रमण, अतिक्रमण बता कर परोसने का पाखंडी प्रयास फिर से शुरू कर दिया है, ऐसे लोग हर "समाजिक सुधार पर सांप्रदायिक वार" की शातिर शैतानी शरारत के हिस्ट्रीशीटर हैं।
श्री नकवी ने कहा कि "कुतर्क के कारीगरों" की इस "कम्युनल करतूत" के पीछे वोटों की साम्प्रदायिक तिजारत है। आज भी समान नागरिक कानून को धार्मिक आस्था विशेषकर इस्लाम पर हमला बता कर भारतीय मुस्लिम समुदाय के साथ साम्प्रदायिक छलचंदों द्वारा सांप-छछूंदर की सियासी साजिश जारी है। जबकि सच्चाई यह है कि यूसीसी धार्मिक आस्थाओं को समान बनाने की नहीं बल्कि अलग-अलग सिविल व्यवस्थाओं के मकड़जाल से देश को मुक्ति दिलाने के लिए है।
श्री नकवी ने कहा कि मोदी सरकार में समावेशी सुधारों की सार्थक सफलता से डरा सहमा गुमराही गैंग भय-भ्रम का भौकाल खड़ा कर रहा है। इनके साम्प्रदायिक छल को समावेशी संकल्प के बल से शिकस्त देने का सही समय है, यही समय है।
श्री नकवी ने कहा कि परिवर्तनशील प्रगति पूरक समाज और देश के समावेशी संकल्प, सोंच, संस्कृति को सशक्त करने का सुरक्षाकवच है, समान नागरिक संहिता। यह "एक देश एक कानून" के पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, समावेशी सैद्धांतिक संकल्प का सार्थक संकल्प है।
श्री नकवी ने कहा कि उम्मीद है कि अमृत काल में समान नागरिक संहिता पर इस बार हो रहे मंथन से अमृत जरूर निकलेगा। यह अमृत देश को अमृत काल का बेशकीमती उपहार साबित हो सकता है। यूसीसी जात, पंथ, धर्म, लिंग आदि की संकीर्ण व्यवस्था को समानता के व्यवहार में बदल कर राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करने में मददगार होगा। यूनिफार्म सिविल कोड महिलाओं की सामाजिक समानता, न्याय और उनके आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
श्री नकवी, मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में "संपर्क से समर्थन" के तहत अपने 3 दिवसीय केरल दौरे पर आज कासरगोड़ एवं कन्नूर में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। श्री नकवी ने कासरगोड़ में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों के साथ योग किया। श्री नकवी कासरगोड़ में टिफिन ब्रेकफास्ट में शामिल हुए; स्वतंत्रता सेनानी एवं पद्मश्री श्री अप्पुकुट्टन पोदुवल से मिले। श्री नकवी कन्नूर में व्यापारी समागम में शामिल हुए; इरिटी में जनसभा को सम्बोधित किया और मट्टमनूर में हज कैंप में लोगों से मुलाकात की।