पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि भारतीय फार्मा उद्योग की सफलता का पैमाना "ए.बी.सी" (आफ्टर और बिफोर कोरोना) होना चाहिए। आज नई दिल्ली में पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा फार्मा उद्योग नियामक अनुपालन पर आयोजित सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि सदी की सबसे बड़ी आपदा में जब दुनिया हिल गई थी तब भारतीय फार्मा फ्रेटरनिटी के हौसले और सम्पूर्ण मानवता की सेहत-सलामती के संकल्प ने "मुल्क को मजबूत, मानवता को महफूज" करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री नकवी ने कहा कि भारतीय फार्मा उद्योग की गुणवत्ता, उपलब्धता की गरिमापूर्ण गारंटी ने संकट के समय संकटमोचक की प्रभावी पहचान बनाई है।
श्री नकवी ने कहा कि भारत के संस्कार और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः" को समर्पित सम्पूर्ण मानवता की सेहत-सलामती की सोंच का नतीजा है कि भारत "संसार की सेहत का सफल, सरल, सस्ता, सुविधायुक्त संरक्षक" बन गया है। मोदी सरकार ने गुणवत्तापूर्ण मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ईज़ आफ डूइंग बिजनेस हेतु कई अहम कदम उठाए हैं।
श्री नकवी ने कहा कि हम मुल्क ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता की भलाई में विश्वास करते हैं। हमारी यह भावना वैश्विक कोरोना चुनौती की कसौटी पर एक बार फिर खरी उतरी है। जहां एक ओर भारत में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में 220 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन के डोज़ दिए गए वहीं दूसरी ओर भारत ने 150 से अधिक देशों को कोरोना टीकों की आपूर्ति की।
श्री नकवी ने कहा कि भारतीय फार्मा उद्योग संसार की सेहत-सलामती का "हेल्थ हैम्पर" साबित हुआ है। "विश्व की फार्मेसी" के रूप में भारत की साख के सशक्तिकरण के सफर को जारी रखना चाहिए, जिसने कोविड संकट के दौरान जबर्दस्त विश्वसनीयता हासिल की। दवाइयों की गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं, साख -संकल्प होना चाहिए।
श्री नकवी ने कहा कि हमारे पास फार्मा क्षेत्र में इनोवेशन और रिसर्च के लिए जरूरी टैलेंट, रिसोर्स मौजूद है। पिछले 5 वर्षों में भारतीय फार्मा उद्योग 8 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वर्ष 2025 में भारतीय फार्मा उद्योग 57 अरब डॉलर का हो जाने का अनुमान है।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रोफ. एस पी सिंह बघेल की गरिमामई उपस्थिति रही। इस फार्मा उद्योग नियामक सम्मेलन में 100 से अधिक फार्मा उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधि; अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, यूक्रेन सहित विभिन्न देशों के रेगुलेटरी अधिकारी एवं फार्मा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हुए।